पोरबन्दर के पास राजकोट में गांधी जी ने प्रारम्भिक शिक्षा प्राप्त की। 13 वर्ष की आयु में उनका विवाह कस्तूरबा जी से हो गया। वकालत पढ़ने के लिए आप इंग्लैण्ड चले गए।
दक्षिण अफ्रीका की यात्रा-वकालत की शिक्षा प्राप्त करने के बाद आप भारत वापस आ गए। यहाँ उन्होंने वकालत आरम्भ कर दी, पर संकोची स्वभाव के कारण उन्हें सफलता नहीं मिली। सन् 1893 ई. में एक मुस्लिम व्यापारी का मुकदमा लड़ने के लिए वे अफ्रीका गए। वहाँ अंग्रेजी शासक भारतवासियों पर बहुत अत्याचार करते थे। गांधी जी यह सहन नहीं कर सके। उन्होंने गोरों द्वारा बरती जा रही जाति भेद की नीति का भी विरोध किया। उन्होंने वहाँ रहकर अंग्रेजों के विरूद्ध आन्दोलन चलाया। इसमें उन्हें बहुत सफलता मिली।
भारत वापसी- अफ्रीका से लौटने के बाद गांधी जी ने स्वतन्त्रता आन्दोलन आरम्भ कर दिया। तिलक और गांधी ने मिलकर स्वतन्त्रता आन्दोलन को और तेज किया। गांधी जी कई बार जेल भी गए।
असहयोग आन्दोलन- सन 1921 में गांधी जी ने असहयोग आन्दोलन चलाया। सन 1930 ई. में उन्होंने ‘नमक कानून’ का विरोध किया और सन 1942 में भारत छोड़ो। आन्दोलन चलाया। सभी आन्दोलनों में गांधी जी को जनता का सहयोग मिला।
गांधी जी ने सत्याग्रह और अहिंसा के सिद्धान्तों पर चलकर अंग्रेजी शासन की नींव हिला दी। गांधी जी के प्रयत्नों के परिणामस्वरूप भारत को 15 अगस्त 1947 में स्वतन्त्रता मिल गई। गांधी जी वास्तव में युग निर्माता थे।
भारत को स्वतन्त्रता तो मिल गई, पर उसे अंग्रेजों ने दो भागों में बांट दिया- भारत और पाकिस्तान।
गांधी जी की हत्या- 30 जनवरी 1948 को गांधी जी बिड़ला मन्दिर में प्रार्थना सभा में जा रहे थे। तभी नत्थू राम गोडसे ने गांधी जी पर गोलियाँ चला दीं। इससे अहिंसा के पुजारी गांधी जी का निधन हो गया। 30 जनवरी सारे भारत में बलिदान दिवस के रूप में मनाया जाता है।
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